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​गौ आधारित ग्रामीण स्वावलंबन कार्यक्रम 

उद्देश्य
  1. किसानों, युवाओं, महिलायों को सफलता के प्रति अभिप्रेरित करके आत्मविश्वास पैदा करना और उनकी रूचि के अनुसार रोजगार के संसाधन उपलब्ध कराकर आय को कई गुणा करना
  2. अन्ना प्रथा एवं नगर क्षेत्र गौवंश समस्याओं का समाधान करना
  3. आर्थिक रूप से संकटापन दूर करना एवं आर्थिक सहयोग प्रबंधन करना
  4. गाय की दुर्लभ प्रजातियों का संरक्षण करना  
  5. गौशालाओं को स्वावलंबी संवर्धन प्रशिक्षण केंद्र बनाना
  6. वर्षा कालीन जल संरक्षण कर गौपान प्रबंध करना
  7. पुष्ट भोजन, स्वस्थ वातावरण एवं स्थिर जलवायु निर्माण करना
  8. पंचगव्य आयुर्वेद प्राकृतिक स्वास्थ्य जीवन शैली को प्रचलित करना 
  9. आध्यात्मिक प्रगति विस्तार करना
​कारक
​जागरूक समाज के उत्साहित नागरिक एवं संस्थाएं 
​कार्यक्रम
  1. तत्पर गौ सेवक मंडल सदस्य बनाना एवं केन्द्रीय संचालन समिति गठन    
  2. लखनऊ एवं अन्य चुनिन्दा स्थानो पर कान्हा उपवन गौशाला का एक विशिष्ट मॉडल स्थापित करना जिसमे गौशाला प्रबंधन, गौसंवर्धन, गौचारा प्रबंधन, पंचगव्य,  बैलचालित उर्जा एवं गोबर गैस से उद्योग, एकीकृत कृषि के जीवंत प्रयोग प्रदर्शित हों
  3. 100 - 500 एकड़ भूमि पर एकीकृत कृषि (रासायनिक खाद रहित) विषमुक्त उत्पाद मॉडल   
  4. कान्हा उपवन गोशाला में गौ सेवा, उत्सव, पर्यटन का अदभुत उदहारण प्रस्तुतीकरण   
  5. प्रत्येक माह कान्हा उपवन गोशाला में गौ सेवा कार्यक्रम, उत्सव, पर्यटन
  6. प्रत्येक शनिवार/ रविवार कान्हा उपवन गोशाला में गौसेवा कार्यक्रम, उत्सव, पर्यटन
  7. गौवंश चिकित्सा – बाँझपन, गर्भावस्था, यौन संक्रमण, दुग्ध बढ़ाना, अन्य रोग
  8. औषधीय पौधों की पहचान एवं प्रयोग
  9. वार्डों में गौ सेवक मंडल निर्माण एवं संचालन समिति
  10. गौ पालकों, गौशालाओं, कृषकों एवं विद्यार्थियों के लिए प्रशिक्षण शिविर
  11. उचित स्थानों में विपणन केंद्र स्थापित करना
​गौ आधारित उत्पाद निर्माण इकाई प्रदर्शन एवं क्षमता निर्माण प्रकल्प
  1. बैलचालित ऊर्जा आधारित उद्योग – रसोई उपयोगी खाद्य पदार्थ आटा, मसाले, तेल
  2. गोबर गैस गृह एवं व्यावसायिक मॉडल         
  3. गोबर गोमूत्र आधारित मृदा एवं कृषि उपयोगी खाद, जीवामृत, बीजमृत, कीट प्रतिरोधक
  4. गोबर आधारित हस्तशिल्प वस्तुएं निर्माण, लकड़ी, वैदिक प्लास्टर निर्माण         
  5. पंचगव्य आयुर्वेद- ज्वर, कैंसर, उदर, मधुमेह, रक्तचाप, थाईरोइड, रेडिएशन  
  6. औषधि निर्माण – आयुर्वेदिक, पंचगव्य घृत, अर्क, घनवटी, दर्दनिवारक - केश तेल, हर्बल चाय
  7. गृह-रसोई सफाई वस्तु निर्माण – गोनायल, बर्तन बार 
  8. शरीर सफाई वस्तु निर्माण – उबटन, साबुन, शैम्पू, हैण्डवाश, दन्त मंजन
  9. जलवायु मंडल शुद्धिकरण वस्तु निर्माण – जलशुद्धि, समिधा, कंडे, धुप, रोगाणु + मच्छर नियंत्रक
  10. शाक सब्जी, फल, आनाज, दलहन, तिलहन, दुग्ध खाद्य प्रसंस्करण मूल्यवर्धन प्रयोग मॉडल   
किसानों का स्वावलंबन एवं गाँवों की समृद्धि
किसान की स्थायी समृद्धि हेतु 2 से 5 गौवंश पालन तथा 2 एकड़ खेती द्वारा प्रतिवर्ष 3 से 5 लाख रुपये आय सृजन करते हुये जैव विविधता पर आधारित पर्यावरण पुष्ट पोषणकारी आदर्श प्रारूप प्रस्तुतीकरण:-
किसानों की आय 2 गुना करने का लक्ष्य है जिसकी पूर्ति के लिए आवश्यक है कि किसान कम लागत एवं कम पानी में होने वाली गौ आधारित सहफसली एकीकृत खेती, भंडारण, कृषि उत्पाद प्रसंस्करण एवं विपणन को एक साथ अपनायें.
परिवार के पालन में महिलायें अधिक सजग रहती हैं एवं गौपालन में उनकी स्वाभाविक रूचि है इसलिए यह आदर्श प्रारूप गौपालक महिला किसानों को स्वावलंबी एवं समृद्ध बनाने के दृष्टिकोण से निर्मित किया गया है. 
प्रथम चरण में उत्तरप्रदेश के 75 जनपदों के 841 विकास खण्डों से किसी भी जनपद के एक विकास खण्ड का आदर्श प्रारूप परियोजना के रूप में चयन करना
  • चयनित विकास खण्ड की प्रत्येक ग्राम पंचायत में कम से कम 30 या अधिक गौपालक महिला किसानों का चयन करना      
    1. जो स्वयं खेती करते हों
    2. जिसके पास कम से कम 2 गौवंश हों
    3. प्राथमिकता उन्हें जो स्वयं खेत पर रहते हों
    4. प्राथमिकता उन्हें जो बागवानी और सब्जी उत्पादन करते हों
    5. प्राथमिकता उन्हें जो गोबर गैस संयंत्र एवं गौमूत्र संग्रह करते हों
  • जनपद की सभी योजनाओं को अभिसरण (convergence) करके एकल खिड़की (single window) द्वारा उनका लाभ गौपालक महिला किसानों को यथा आवश्यकता उपलब्ध कराना
  • रबी, खरीब, जायद फसलों के अनुसार गौपालन, बागवानी, जडीबुटी सहित एकीकृत कृषि (Integrated farming) के सफल मॉडल भ्रमण कराना, उनका प्रशिक्षण देना, गौपालक महिला किसानों द्वारा स्वयं सफल मॉडल विकसित कर आदर्श प्रस्तुत कराना   
  • चयनित किसानों के यहाँ पक्का गोवंश शैड, गोमूत्र संग्रह हौदी एवं बायोगैस संयंत्र की स्थापना कराना तथा गोबर गैस स्लरी जीवामृत, बीजामृत (बीजशोधन), घनजीवामृत, दसपर्णी अर्क के साथ साथ फसल सुरक्षा हेतु  कीट नियंत्रक - नीमास्त्र, ब्रम्हास्त्र, अग्नेयास्त्र, फंगीसाइड आदि के निर्माण की व्यवस्था ग्रामीण स्तर पर सुनिश्चित करना      
  • योग्य किसानों को कृषक वैज्ञानिक (मुख्य प्रशिक्षक) के रूप में तैयार करने हेतु चयनित करके प्रशिक्षण प्रदान करना एवं प्रचार प्रसार सामग्री निर्मित करना, पुरूस्कार प्रोत्साहन कार्यक्रम आयोजन करना, सफल कृषि प्रयोग प्रक्षेत्र भ्रमण कराना
  • योग्य किसानों को सफल बीज उत्पादक के रूप में तैयार करने हेतु चयनित करके प्रशिक्षण प्रदान करना एवं ग्राम बीज बैंक की स्थापना करके अग्रिम योजना अनुरूप स्वस्थ बीजों की उपलब्धिता सुनिश्चित करना
  • सूक्ष्म सिंचाई तकनीक छिडकाव, टपक (sprinkler, drip), आच्छादन एवं बाफसा प्रयोग करना          
  • A2 दुग्ध उत्पादन एवं संरक्षण निति पालन करना  
  • कृषि उत्पादों का प्रसंस्करण, पैकेजिंग, भंडारण, गुणवत्ता नियंत्रण, प्रमाणीकरण एवं विपणन सुनिश्चित करने हेतु गाँवो के योग्य प्रतिभाओं की भागीदारी एवं प्रशिक्षण कराना
  • पशु चारा सुरक्षा (cattle food security) हेतु गौचर भूमि एवं चारागाह विकसित करना, चारा उत्पादन, चारा बैंक एवं वर्षभर हरे चारे की उपलब्धिता सुनिश्चित करना
  • कृषि श्रम कार्यों में नरेगा (MGNREGA) यथा संभव लाभ लेना
  • अन्ना प्रथा एवं गाँव में अवांछित गौवंश के समाधान हेतु भागीदारी के आधार पर गौ प्रस्थापन (अभ्यारण) केन्द्र बनाकर गोबर – गोमूत्र, बैल चालित ऊर्जा आधारित उद्योग स्थापित करना
  • बैल चालित ऊर्जा से चारा कटाई, तेल घानी, आटा चक्की, सिंचाई पम्प अन्य विधुत उपकरण       
  • रसोई ऊर्जा केवल गोबर बायोगैस एवं वनस्पति अवशेष आधारित बायोमास द्वारा सुनिश्चित हो जिससे “पेड़ कटने न पायें - गोबर जलने न पाये” और LPG की आवश्यकता न रहे
  • वर्षा जल संचय की सस्ती व सरल तकनीकों, तालाब निर्माण द्वारा ग्रामीणों की सहभागिता एवं जनजागरण द्वारा जल स्तर बढानें के सफल मॉडल स्थापित करना
  • ऐसे ऊर्जा गाँव निर्माण करना जो सौर, जल एवं बायोगैस से परिपूर्ण हों एवं वानस्पतिक अवशेष प्रबंधन का मॉडल बनाना
  • किसानों के खेत में और ग्राम की भूमि में यथा संभव वृक्षारोपण कराना, आदर्श ग्राम वन प्रबंधन करना एवं जैव विविधता के उदाहरण प्रस्तुतीकरण    
  • ग्राम स्तरीयमृदा परिक्षण एवं स्वस्थ मृदा के माध्यम से कार्बन क्रेडिट
  • संस्कृति, लोक परम्परायें एवं पराक्रम विकसित करना
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